हेलो दोस्तों आज के आर्टिकल में हम आपको यण संधि के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं , आज आप लोगों को यण संधि की परिभाषा से लेकर यण संधि के 10 या 20 उदाहरण नही बल्कि 30 + उदहारण भी देखने को मिलेंगे ।
यण स्वर सन्धि की परिभाषा , नियम व 30 उदाहरण |
यण संधि की शुरुआत से पहले मैं आप लोगों को संधि की परिभाषा व भेद के बारे में बता रहा हूं यदि आप लोग संधि की परिभाषा व भेद के बारे मे जानते हैं तो आप इस पैराग्राफ को स्कीप करके नेक्स्ट पैराग्राफ पर जा सकते हैं ।
सन्धि की परिभाषा
जब दो या दो से अधिक वर्ण पास-पास आते है तो कभी कभी उनमे रूपांतर हो जाता है । इसी रूपांतर को संधि कहा जाता है।
सन्धि विच्छेद किसे कहते है?
साधारण भाषा मे किसी सन्धि शब्द को तोड़ना या अलग अलग करना ही सन्धि विच्छेद कहलाता है। लेकिन शब्द का सही स्थान के तोड़ना या अलग करना ही संधि विच्छेद को दर्शाता है ।
जैसे :-
सन्धि शब्द संधि विच्छेद
- हिमालय हिम+आलय
- विद्यालय विद्य+आलय
स्वर सन्धि किसे कहते है ? परिभाषा
जब दो स्वर आपस मे मिलकर कोई विकार या परिवर्तन उत्पन्न करते है तो उसे स्वर सन्धि कहा जाता है।
स्वर सन्धि के कितने भेद या प्रकार
स्वर सन्धि के मुख्य रूप से पांच भेद होते है जो निम्नलिखित है :-
- दीर्घ स्वर सन्धि
- गुण स्वर सन्धि
- वर्द्धि स्वर सन्धि
- यण स्वर सन्धि
- अयादि स्वर सन्धि
यण स्वर सन्धि की परिभाषा , नियम व उदाहरण
परिभाषा :- जब 'इ', 'ई', 'उ', 'ऊ' और 'ऋ' के बाद कोई भी अन्य असमान स्वर आये, तो इ-ई के स्थान पर 'य्', 'उ-ऊ' के स्थान पर 'व्' और 'ऋ' के स्थान पर 'र्' हो जाता हैं उसे यण स्वर सन्धि कहते है ।
अन्य परिभाषा :- जब संधि करते समय इ, ई के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ य ‘ बन जाता है, जब उ, ऊ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ व् ‘ बन जाता है , जब ऋ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ र ‘ बन जाता है ।
यण संधि का नियम -
जब इ', 'ई', 'उ', 'ऊ' और 'ऋ' के बाद कोई भी असमान स्वर आये, तो इ-ई का 'य्', 'उ-ऊ' का 'व्' और 'ऋ' का 'र्' हो जाता हैं ।
जैसे यण संधि के कुछ उदाहरण :-
इ / ई + अ = य
जब किसी शब्द में इ या ई के बाद अ आता है तब दोनों के स्थान पर य बन जाता है । जैसे परि + अटन = पर्यटन होगा । क्योंकि पर्यटन शब्द का संधि विच्छेद करने पर " पर् + इ + अटन " होता है । इस लिए इ के स्थान पर य हो गया और पर् में र के हलंत होने की वजह से र आधा रह गया और य के ऊपर चढ़ गया ।
इ / ई + आ = या
जब किसी शब्द में इ या ई के बाद आ आता है तब दोनों के स्थान पर या बन जाता है । उदहारण के तौर पर जैसे इत्यादि शब्द को लेते है और इसका संधि विच्छेद करते है तो होता है इति + आदि । अब यदि इति शब्द का फिर विखंडन करते जी तो बनता है " इत् + इ + आदि " । इस शब्द में इत् के बाद इ के स्थान पर या हो जाएगा और इससे 'इत्यादि ' शब्द का निर्माण हुआ है ।
इ / ई + उ = यु
किसी शब्द में जब इ या ई के बाद उ आता है तब दोनों के स्थान पर यु बन जाता है । जैसे प्रत्युपकार शब्द को लेते है । इस शब्द का संधि विच्छेद करने पर प्रति + उपकार होता है इस उदहारण में 'इ के बाद उ' आ रहा है । इसलिए इसमें यण संधि है ।
इ / ई + ऊ = यू
इस नियम में जब इ / ई के बाद ऊ आ जाता है तो यू बन जाता है । उदहारण के लिए हम न्यून शब्द को लेते है इस शब्द का संधि विच्छेद नि + ऊन होता है । इस शब्द में इ / ई के बाद ऊ है इसलिए यू का निर्माण हुआ है ।
इ / ई + ए = ये
इस नियम के अनुसार जब इ / ई के तुरंत बाद 'ए' आ जाता है तो 'ये' बन जाता है । उदहारण के लिए हम प्रत्येक शब्द को लेते है इस शब्द का संधि करने पर विच्छेद प्रति + एक होता है । इस शब्द में इ के बाद ए है इसलिए ये का आगमन हुआ है ।
इन सभी की तरह ही ओर के भी नियम है जो नीचे टेबल के माध्यम से समझाया गया है ।
यण स्वर संधि के 30 उदहारण
अंतिम शब्द
आज हमने इस आर्टिकल में यण संधि किसे कहते हैं ? परिभाषा व यण संधि के नियम व 50 उदहारण । इन सभी के बारे में विस्तार से व सरल भाषा मे समझाने का प्रयास किया है । यदि आपको यह लेख पसंद आया है और इस आर्टिकल से कुछ सीखने को मिला हो तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ जरूर साझा करें । और यदि आपको इस आर्टिकल में कोई कमी महसूस होती है तो नीचे हमे comment box में जरूर अवगत कराएं । ताकि हम आपकी जरूर के अनुसार आर्टिकल को बना सके , आपके सुझाव हमेशा आमंत्रित है ।
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